Kalam By Hariyash Rai
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कलम – हरियश राय
डर केवल उनकी कॉलोनी में नहीं था वरन् पूरे शहर में डर का साया मँडरा रहा था। जमीन से आकाश तक डर ही डर था। यह डर लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा था। यह डर था कोविड की गिरफ्त में आने का डर, बीमार होने का डर, अस्पतालों में जगह न मिलने का डर। आशुतोष खुराना को डर था कि कहीं वे भी कोरोना वायरस की चपेट में न आ जाएँ। इसीलिए उनका जीवन दो कमरों और एक ड्राइंग रूम की चारदीवारी तक सिमटकर रह गया था। उन्होंने अपने आप को कैद कर लिया था। हफ्ते में केवल एक-दो बार हाथों में दस्ताने पहने, मुँह पर मास्क लपेटे, सेनेटाइजर की शीशी को अपनी जेब में रखकर दूध और सब्जियाँ खरीदने के लिए बाहर निकलते। लौटकर दूध के पैकेट और सब्जियों को दरवाजे के बाहर ही दो घण्टे के लिए रख देते और खुद घर के अन्दर आकर स्नान करते। अपने पहने हुए कपड़ों को डिटोल से धोते।
– इसी पुस्तक से
“हरियश राय की कहानियाँ हमारे आज के सामाजिक परिवेश का आकलन करती हुई उन मूल्यों की शिनाख्त करती दिखाई देती हैं जो मनुष्यता और विवेकपरकता के लिए सबसे ज़रूरी हैं। हरियश राय यह शिनाख़्त बहुत धैर्य और संयम के साथ करते हुए दिखाई देते हैं। उनकी कहानियाँ हमारे आज के बदलते समय में गुम हो रही मनुष्यता और संवेदनशीलता को सामने लाकर पाठकों की समझ को बदलने का आधार देती हैं ”
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Description
कलम – हरियश राय
Kalam By Hariyash Rai
हरियश राय समकालीन कहानी परिदृश्य में एक जाना- पहचाना नाम है। वे कहानी-रचना में अपने बनाये हुए मुक़ामों को पीछे छोड़ते आए हैं। इस संकलन में शामिल कहानियाँ सूक्ष्मता, सृजनात्मक सौन्दर्य, संवेदना और वैचारिकता को अपने में समाये पाठकों की चेतना को गहरे जाकर प्रभावित करती हैं। उनकी कहानियाँ बड़े असरदार तरीके से संवादों के जरिये हमारे आज के सरोकारों को सामने लाती हैं। हरियश राय की कहानियाँ हमारे आज के सामाजिक परिवेश का आकलन करती हुई उन मूल्यों की शिनाख्त करती दिखाई देती हैं जो मनुष्यता और विवेकपरकता के लिए सबसे ज़रूरी हैं। हरियश राय यह शिनाख़्त बहुत धैर्य और संयम के साथ करते हुए दिखाई देते हैं। उनकी कहानियाँ हमारे आज के बदलते समय में गुम हो रही मनुष्यता और संवेदनशीलता को सामने लाकर पाठकों की समझ को बदलने का आधार देती हैं। हरियश राय अपनी कहानियों में बहुत गहराई और विस्तार से सदियों से चली आ रही बहुलतावादी सामासिक संस्कृति के मूल्यों को दर्ज करते हैं और उन मान्यताओं, सामाजिक मूल्यों, विश्वासों को सामने लाते हैं जो समाज की धरोहर के रूप में जाने-पहचाने जाते हैं। हमारे समय की बदलती हुई तस्वीर को देखना हो तो हरियश राय की इन कहानियों से गुजरना लाजमी हो जाता है।
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