Description
Itihas Purush : Bakht Khan by Rajgopal Singh Verma
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चूँकि यह एक स्वतःस्फूर्त आन्दोलन था, इसलिए 1857 की इस क्रान्ति का कोई एक सर्वमान्य नेता न था, न ही सेना की कमाण्ड किसी एक उच्च अधिकारी के हाथ में थी। हर बागी एक नेता था और हर व्यक्ति आज़ादी के इस जुनून को दिल में सँजोये हुए था। ऐसे में बरेली स्थित सैन्य घुड़सवार-आर्टिलरी ब्रिगेड के एक स्थानीय अधिकारी मुहम्मद बख़्त ख़ान का अपने समर्थकों के साथ दिल्ली पहुँचना, बादशाह द्वारा उसे फिरंगियों के विरुद्ध सेना का नेतृत्व करने के लिए सर्वोच्च ओहदा देना एक बहुत बड़ा कदम और सम्मान था। बादशाह ने उसे सैन्य बलों का कमाण्डर-इन-चीफ बना दिया था। अफरातफरी और अराजकता के उस माहौल में इस जाँबाज़ सैन्य अधिकारी ने अपनी सेना में अनुशासन बनाया, व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया, प्रशासनिक मशीनरी को सक्रिय किया और सेना का संचालन तथा शासन चलाने के लिए आवश्यक धनराशि की व्यवस्था की। उसने अव्यवस्था फैलाने और लूटपाट करने वालों को चेतावनी दी तथा न मानने पर उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की। बख़्त ख़ान ने हिन्दू-मुस्लिम सौहार्द की स्थितियों को बनाये रखने में भी अपना योगदान दिया, तथा बादशाह के खोये हुए गौरव को एक बार फिर से स्थापित करने के लिए जरूरी काम किये।
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WishlistItihas Purush : Bakht Khan by Rajgopal Singh Verma
Author | Rajgopal Singh Verma |
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Binding | Paperback |
Language | Hindi |
ISBN | 9788119899524 |
Pages | 208 |
Publisher | Setu Prakashan Samuh |
Publication date | 10-02-2024 |
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