GURUDUTT By Arun Khopkar Trans. By Nishikant Thakar
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सिनेमा को सजग होकर पढ़ने के नये तरीकों को अंजाम देने वाली पुस्तक है गुरुदत्त: तीन अंकी त्रासदी। ईसा मसीह की तरह सिने-निर्देशक गुरुदत्त और उनके सिनेमा का समयान्तर से पुनर्जीवन हुआ और आज विश्व के मास्टर्स ऑफ सिनेमा में उनका सम्मानपूर्वक जिक्र किया जाता है।
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सिनेमा को सजग होकर पढ़ने के नये तरीकों को अंजाम देने वाली पुस्तक है गुरुदत्त: तीन अंकी त्रासदी। ईसा मसीह की तरह सिने-निर्देशक गुरुदत्त और उनके सिनेमा का समयान्तर से पुनर्जीवन हुआ और आज विश्व के मास्टर्स ऑफ सिनेमा में उनका सम्मानपूर्वक जिक्र किया जाता है। करीब चौंतीस वर्ष पूर्व लिखी अपनी इस पुस्तक के नये संस्करण में अरुण खोपकर ने अपनी सिने-कलाशास्त्र की समग्र साधना को दाँव पर लगा दिया है और इसे आमूलाग्र नया रूपाकार और अधिक परिपूर्ण अन्तर्वस्तु से प्रस्तुत किया है। विश्व सिनेमा का गहन अध्ययन, सिनेकला और तकनीक की अन्तरंग जानकारी, सिने निर्माण का सीधा अनुभव और समझ के साथ ही साहित्य और ललित कलाओं के सौन्दर्यशास्त्र की पुख़्ता ज़मीन पर उन्होंने गुरुदत्त के सिनेमा को जिस तरह अभिजात शैली से समझा दिया है, वह पाठकों और दर्शकों की सिने- समझ के आयामों को अनायास विस्तार दे ही जाता है। संवेदनात्मक प्रगतिशील दृष्टिकोण उनके आभिजात्य को अभिनव बना देता है। गुरुदत्त के सिनेमा में भाषा, गीत और संगीत को लेकर बदलता नज़रिया इस लोचना की विशेषता है। अँधेरों और उजालों, यथार्थ और रोमांच, त्रासदी और महाकाव्य, बिम्बों और परछाइयों, रंजन और कला- मूल्यों को समग्रता में दृष्टिक्षेत्र में रखना इस समालोचना को मुकम्मल बना देता है। रोमाण्टिक कलाकार गुरुदत्त और सिनेमा की कला के प्रति सच्ची आस्था और प्रेम की बदौलत अरुण खोपकर ने भारतीय ही नहीं शायद विश्व सिने समालोचना में अपनी जगह बनायी है।
About the Author:
अरुण खोपकर सिने निर्देशक, सिने विद् और सिने अध्यापक। राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सवों में सहभाग। फ़िल्म निर्देशन और निर्मिति के लिए तीन बार सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कारों से और पन्द्रह राष्ट्रीय- अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित होमी भाभा फ़ेलोशिप से सम्मानित । सत्यजित राय जीवन गौरव स्मृति सम्मान 2015, गुरुदत्त तीन अंकी शोकान्तिका – सिनेमा पर सर्वोत्कृष्ट पुस्तक का राष्ट्रीय पुरस्कार 1986, अनुनाद – कथेतर विधा में महाराष्ट्र राज्य पुरस्कार 2021. विविध कलाओं पर आधारित सिनेमा तथा लेखन और अँग्रेज़ी, इतालवी, फ्रेंच, हिन्दी व कन्नड़ में अनूदित चलत् चित्रव्यूह पर साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2015, चित्रव्यूह और चलत् चित्रव्यूह को महाराष्ट्र फ़ाउण्डेशन पुरस्कार 2014. चित्रभास्कर व रंगभास्कर : भास्कर चन्दावरकर पर लिखित पुस्तकों की संकल्पना व सम्पादन, फ़िल्म एण्ड टेलीविजन इंस्टीट्यूट व नेशनल फ़िल्म आर्काइव पुणे, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, सेण्ट्रल यूनिवर्सिटी, हैदराबाद, मॉस्को फ़िल्म इंस्टीट्यूट ऑफ़ एडवांस्ड स्टडीज इन फ़िल्म डिरेक्शन, ब्रिटिश फ़िल्म इंस्टीट्यूट वेस्टमिन्स्टर विश्वविद्यालय व ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, वेनिस बिएनाले आदि संस्थानों में अध्यापन, व्याख्यान तथा संगोष्ठियों में हिस्सेदारी; चार एशियाई व पाँच यूरोपीय भाषाओं का अध्ययन।
ISBN | 9788196187996 |
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Author | Arun Khopkar Trans. By Nishikant Thakar |
Binding | Hardcover |
Pages | 320 |
Publication date | 25-02-2023 |
Imprint | Setu Prakashan |
Language | Hindi |
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