Description
इस पुस्तक में उठाये गये प्रश्न कविता के अन्तःपुर के रहवासी के प्रश्न हैं। उसकी प्रामाणिकता और जवाबदेही असंदिग्ध है। निशान्त पिछले डेढ़ दशक से कविताएँ लिख रहा है। कविताएँ उसकी मांस और म%जा में लहू की तरह प्रवाहित हैं। कविता लिखते हुए वह जीवन की साँसों को नियन्त्रित नहीं करता। यहाँ कविता लिखने का जोखिम भी है और साँसों के उतार-चढ़ाव का रोमांच भी। साँसों के इन्हीं बढ़ते-घटते क्षणों में वह कविता के दायरे को विस्तृत करने की कोशिश करता है। पिछले एक वर्ष में उसके द्वारा लिखे गये ये आलेख कविता और कविता- समय एवं कविता के जीवन का जायजा लेने की कोशिश का परिणाम हैं।
About the Author:
जन्म 4 अक्टूबर, 1978, लालगंज, बस्ती (उ. प्र.) । एम ए. एमफिल, पी-एच.डी. (हिंदी) की पढ़ाई जेएनयू से। निशान्त का शैक्षणिक नाम बिजय कुमार साव और घर का नाम मिठाईलाल है। पहली कविता 1993 में मिठाईलाल के नाम से जनसत्ता में प्रकाशित। जवान होते हुए लड़के का कबूलनामा काव्य संग्रह (भारतीय ज्ञानपीठ, 2009) एवं दूसरा काव्य संग्रह जी हाँ, लिख रहा हूँ… (राजकमल प्रकाशन, 2012), जीवन हो तुम (सेतु प्रकाशन, 2019) से। जीवनानन्द दास पर हिंदी में पहली आलोचना पुस्तक जीवनानन्द दास और आधुनिक हिन्दी कविता (नयी किताब, 2013) से प्रकाशित। कविताओं का अंग्रेजी, उर्दू, बांग्ला, ओडिया, मराठी, गुजराती सहित कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद | बचपन से बंगाल में रहनवारी। बांग्ला साहित्य और फिल्मों से लगाव। रवीन्द्रनाथ टैगोर की 13 कविताओं पर आधारित फिल्म त्रयोदशी में अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त फिल्मकार और कवि बुद्धदेव दासगुप्ता के साथ बतौर सहायक निर्देशक और अभिनेता कार्य । रवीन्द्रनाथ ठाकुर, जीवनानन्द दास, सत्यजीत रे, महाश्वेता देवी, सुनील गंगोपाध्याय, संख घोष, नवारुण भट्टाचार्य, जय गोस्वामी, बुद्धदेव दासगुप्ता, आलोक सरकार से लेकर बंगाल के युवा कवियों की कविताओं का बांग्ला से हिंदी अनुवाद। अनुवाद की तीन पुस्तकें प्रकाशित। कविता के लिए भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार, नागार्जुन शिखर सम्मान, शब्द साधना युवा सम्मान, नागार्जुन प्रथम कृति सम्मान, मलखान सिंह सिसोदिया पुरस्कार से सम्मानित । वर्तमान में काजी नजरुल विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक ।
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