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इतिहासकार डॉ. रमाशंकर सिंह डॉ. अम्बेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली के ‘सेंटर फॉर रिसर्च एंड आर्काइविंग इन इंडिया एंड इंडीजेनस नॉलेज एंड लैंगुएज सिस्टम’ में एकेडेमिक फ़ेलो हैं। उन्होंने गोविन्द बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान, झूसी, प्रयागराज से डी. फिल. (2017) की उपाधि प्राप्त की है। वे भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में फ़ेलो रहे हैं(2018-2020)। बाँस पर आश्रित जातियों, घुमंतू एवं विमुक्त समुदायों के इतिहास, भाषा, संस्कृति, राजनीति और जीवन-बोध एवं भारत के संविधान पर उनके पर्चे ‘ईपीडब्ल्यू’, ‘आलोचना’, ‘प्रतिमान’ और ‘नया पथ’ में प्रकाशित हैं। उनके दर्जनों अध्याय विभिन्न विद्वानों द्वारा सम्पादित किताबों और ज्ञान कोशों में प्रकाशित हुए हैं। उन्होंने पीपुल्स लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ़ इण्डिया के उत्तर प्रदेश खण्ड के लिए लेखन, अनुवाद और सम्पादन का काम किया है। जवाहरलाल नेहरू के सांस्कृतिक विचारों को केंद्र में रखकर उन्होंने एक किताब का सम्पादन किया है जो लोकभारती, इलाहाबाद से प्रकाश्य है। इस समय वे उत्तर प्रदेश के घुमंतू एवं विमुक्त समुदायों से सम्बन्धित अपने काम को अंतिम रूप दे रहे हैं। ‘नदी पुत्र’ सेतु प्रकाशन से अभी कुछ महीनों पहले प्रकाशित हुई है।
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