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Dabish Main – Ravindra Verma

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Dabish Main – Ravindra Verma
दबिश में – रवीन्द्र वर्मा

दबिश में’ प्रख्यात कथाकार रवीन्द्र वर्मा की कविताओं का पहला संग्रह है। अस्सी पार के कथाकार का यह काव्यारोहण रचनात्मक सिसृक्षा का नया द्वार खोलता है। ये कविताएँ समसामयिक जीवन के घातप्रतिघात से संघर्ष करती रचनात्मक जिजीविषा की अनिवार्य परिणति हैं। रवीन्द्र वर्मा के इस संग्रह की खूबी है कि जहाँ अपने समय के सबसे ज़रूरी सवालों से वे रूबरू हैं वहीं इस समसामयिकता की परिधि से निकल कर दुनिया भर के खूबसूरत दिमागों से निकली अवधारणाओं और बौद्धिक परम्पराओं से भी गुफ़्तगू उन्होंने सम्भव की है। युगबोध और परम्परा के सन्धि-स्थल पर रची-खड़ी ये कविताएँ कवि के सामर्थ्य का पता बताती हैं। परम्परा के भीतर समकालीन होना कवियों के लिए निरन्तर चुनौती रहा है। कवि ने इस चुनौती को स्वीकार किया है। इन कविताओं से गुजरते हुए यह कहा जा सकता है कि यह कवि परम्परा के भीतर समकालीन है। हम इन कविताओं में विषयगत विविधता के साथ तीव्र रचनात्मक आवेग को बिना किसी अतिरिक्त आवाज़ के सान्द्र और मन्थर करुणाद्र रव में तब्दील होते देख सकते हैं। प्रेम, जीवन और मृत्यु जैसे शाश्वत विषयों पर लिखी कविताओं में विशेष रूप से इस सान्द्रता को देखा जा सकता है। भाषिक सहजता कविता की आन्तरिक लय को प्रवहमानता देती है। निस्सन्देह यह संग्रह रवीन्द्र वर्मा के अनुद्घाटित काव्य व्यक्तित्व को तो सामने लाता ही है, साथ ही हमारी कविता की समकालीन धरती को थोड़ा और उर्वर बनाता है और उसके क्षितिज का थोड़ा और विस्तार करता है।

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About the Author:

जन्म : 1 दिसम्बर 1936, झाँसी (उत्तर प्रदेश) शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा झाँसी में। 1959 में प्रयाग विश्वविद्यालय से एम.ए. (इतिहास)। सन् 1965 से कहानियों का पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशनारम्भ। अपनी विशिष्ट छोटी कहानियों के रूप में एक नयी कथा-विधा के प्रणेता माने जाते हैं। इधर कुछ कविताएँ भी आयी हैं। प्रकाशित कृतियाँ : कोई अकेला नहीं है, पचास बरस का बेकार आदमी, रवीन्द्र वर्मा की चुनिन्दा कहानियाँ (कहानी संग्रह); क़िस्सा तोता सिर्फ़ तोता, गाथा शेखचिल्ली, माँ और अश्वत्थामा, एक डूबते जहाज़ की अन्तर्कथा, जवाहर नगर, निन्यानवे, पत्थर ऊपर पानी, मैं अपनी झाँसी नहीं दूंगा, दस बरस का भँवर, आख़िरी मंज़िल, क्रान्ति कक्का की जन्म-शताब्दी, घास का पुल (उपन्यास), दबिश में (कविता संग्रह)। कुछ कहानियों का देशी-विदेशी भाषाओं में अनुवाद। ‘आख़िरी मंज़िल’ का पंजाबी में।

Additional information

ISBN

9788194091097

Author

Ravindra Verma

Binding

Hardcover

Pages

120

Publisher

Setu Prakashan Samuh

Imprint

Setu Prakashan

Language

Hindi

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