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MAHAKAVI BHAS KA NATYA VAISHISHTYA By Bharatratna Bhargva
महाकवि भास का नाट्य वैशिष्ट्य – भारतरत्न भार्गव
About the Author:
भारतरत्न भार्गव का जन्म 25 जनवरी 1938 को हुआ। राजस्थान विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी) लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय में प्राध्यापक और आकाशवाणी दिल्ली तथा इन्दौर में नाटक विभाग के कार्यक्रम अधिकारी। भारतीय भाषाओं के उपन्यास / कहानियों के लगभग 50 रेडियो रूपान्तर । कविता और रंगकर्म में विशेष रुचि। प्रो. मोहन महर्षि के निर्देशन में अभिनय की शुरुआत फिर अनेक नाटकों में अभिनय तथा रूपान्तर किया। बी.बी.सी. लन्दन में हिन्दी विभाग के प्रोड्यूसर संगीत नाटक अकादेमी के उपसचिव (नाटक) के रूप में कार्य करते हुए देश के लगभग सभी शीर्षस्थ निर्देशकों, नाटककारों, समीक्षकों से गहरा परिचय। डॉ. कमलेश दत्त त्रिपाठी के सान्निध्य में भरतमुनि कृत नाट्यशास्त्र का गहन अध्ययन तथा विश्लेषण पद्मभूषण कावलम नारायण पणिक्कर के अनेक मलयाली नाटकों का हिन्दी अनुवाद। पणिक्कर जी के निर्देशन में भास के अनेक नाटकों का हिन्दी पाठान्तर विशेष रूप से प्रतिज्ञायौगन्धरायण तथा स्वप्नवासवदत्ता की स्वप्नकथा शीर्षक से पुनर्रचना दो काव्य संकलन, दृश्यों की धार तथा घिसी चप्पल की कील एवं दो नाट्यालोचना की पुस्तकें, रंग हबीब तथा भारतीय नाट्य परम्परा एवं आधुनिकता प्रकाशित। संगीत नाटक अकादेमी का अमृत पुरस्कार, हिन्दी अकादमी, नयी दिल्ली का विशिष्ट कृति पुरस्कार एवं राज. संगीत नाटक अकादमी के कला पुरोधा सम्मान से विभूषित। नाट्यकुलम संस्थान के कुलगुरु, जहाँ दृष्टिबाधितों को ब्रेल लिपि में शिक्षा एवं नाट्याभिनय का प्रशिक्षण दिया जाता है। दृष्टिबाधितों के साथ तीन नाटकों का निर्देशन एवं लेखन / रूपान्तर स्मृतिशेष शम्भु मित्र के रंग-व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर समीक्षात्मक पुस्तक के अतिरिक्त भास के नाटकों तथा भारतीय रंग-मनीषियों पर निबन्धों की पुस्तकें शीघ्र प्रकाश्य । सम्प्रति : भारत सरकार के संस्कृति मन्त्रालय द्वारा प्रायोजित टैगोर नेशनल फेलोशिप के अन्तर्गत नाट्यशास्त्रीय परम्परा एवं प्रयोग विषय पर शोधकार्य में संलग्न ।


































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