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Samudra Manthan Ka Pandrahwan Ratna By Sanjeev समुद्र मन्थन का पन्द्रहवाँ रतन -संजीव
कथाकार संजीव ने हिन्दी को कई महत्त्वपूर्ण उपन्यास दिये हैं। वह पढ़े भी खूब जाते रहे हैं। उनके रचनात्मक अवदान के लम्बे सिलसिले की नवीनतम कड़ी है उनका उपन्यास समुद्र मन्थन का पन्द्रहवाँ रतन। यह उपन्यास हमारे समय की एक प्रमुख विसंगति और एक व्यापक मूल्यभ्रंश की शिनाख्त करता है, जिनसे पूरा समाज आक्रान्त है। पैसे की माया हर जगह सिर चढ़कर बोल रही है और इसके असर में सब कुछ टूटता, बिखरता जा रहा है-रिश्ते-नाते, आपसदारियाँ, रीति-रिवाज, परम्पराएँ, पुरानी मूल्य व्यवस्था, लोक- लाज। अधकपारी नाम के एक गाँव के गनेश सिंह और नुनू बाबू नामक दो चरित्रों के द्वन्द्व से पैसे का खेल उजागर होना शुरू होता है और हम देखते हैं कि उसके आगे किस तरह पुरुषार्थ का दिवाला निकल जाता है। नुनू बाबू की चकित करने वाली सफलताएँ हमारे समाज में छल-छद्म के बढ़ते दबदबे को रेखांकित करती हैं। उपन्यास का परिवेश ग्रामीण है और इसकी भाषा स्वाभाविक ही गवई मुहावरों तथा लहजों से पगी हुई है। इसमें माटी की भाषा है और भाषा की माटी, जिसके लिए संजीव जाने जाते हैं। इस उपन्यास में किस्सों की बहार है। कहन की शैली और संवादों के अन्दाज ऐसे कि वे दृश्यों को रचते चलते हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि संजीव के इस उपन्यास का भी सोत्साह स्वागत होगा।
6 जुलाई, 1947, सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) के बाँगरकलाँ गाँव में। कार्यक्षेत्र : 38 वर्षों तक रासायनिक प्रयोगशाला में कार्य करने के बाद स्वतंत्र लेखन, 7 वर्षों तक हंस समेत अनेक पत्रिकाओं के संपादन एवं स्तंभलेखन का कार्य। अपने शोधपरक लेखन व वर्जित विषयों पर लिखे गये साहित्य के लिए ख्यात। लगभग 150 कहानियाँ व 14 उपन्यास प्रकाशित।
Additional information
ISBN
9788196166533
Author
Sanjeev
Binding
Paperback
Pages
96
Publication date
25-02-2023
Imprint
Setu Prakashan
Language
Hindi
1 review for Samudra Manthan Ka Pandrahwan Ratna By Sanjeev
Leena kumari –
महत्त्वपूर्ण और अद्भुत